बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रतिष्ठित सम्प्रदाय के विचारकों एडम स्मिथ, माल्थस, रिकार्डों, मिल आदि के एवं मार्क्स के आर्थिक चिन्तन को क्रमशः परम्परावाद एवं मार्क्सवाद कहा जाता है। इन दोनों के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है जिसे व्यक्त करते हुए प्रो. जीड एवं रिस्ट ने मार्क्सवाद को परम्परावादी तने पर विकसित हुयी एक टहनी बताया है। अर्थात् उनके अनुसार मार्क्सवाद का आधार परम्परावादी आर्थिक दर्शन है। यद्यपि व्यक्तिगत स्तर पर कार्ल मार्क्स ने सभी परम्परावादी विचारकों की आलोचना की है किन्तु सामूहिक रूप से परम्परावादी दर्शन की प्रशंसा की, जो इस बात का प्रमाण है कि वे उनके आर्थिक चिंतन से अधिक प्रभावित थे।
अब हम मार्क्सवाद पर परम्परावाद के प्रभाव का विवेचन करेंगे -
(1) मार्क्सवादी सिद्धान्तों पर प्रभाव - मार्क्स अपनी विचारधारा एवं सिद्धान्तों के लिए न केवल पूर्ववर्ती एवं समकालीन समाजवादी विचारकों के ऋणी हैं बल्कि उनके चिन्तन पर सर्वाधिक प्रभाव प्रतिष्ठित सम्प्रदाय के आर्थिक चिंतन अर्थात् परम्परावाद का पड़ा है। मार्क्स ने जो कुछ लिखा व कहा उसे आसानी से एडम स्मिथ, रिकार्डों एवं अन्य प्रतिष्ठित सम्प्रदाय के अर्थशास्त्रियों की रचनाओं में खोजा जा सकता है। मार्क्स ने अपनी रचना 'The Critique of Political Economy' में स्वीकार किया है कि उन्होंने वर्षों तक लगातार ब्रिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी लंदन में अपनी ऐतिहासिक कृति 'Das Capital' की रचना के लिए विषय सामग्री एकत्रित करने के उद्देश्य से प्रतिष्ठित आर्थिक दर्शन का गहन अध्ययन किया इसलिए कहा जाता है कि मार्क्सवाद कोई मौलिक चिंतन नहीं बल्कि परम्परावादी सिद्धान्तों का मार्क्स द्वारा रूपान्तरण मात्र है। प्रो. जीड एवं रीस्ट के अनुसार, “मार्क्सवाद के सिद्धान्त प्रत्यक्षत 19वीं सदी के प्रारम्भिक अर्थशास्त्रियों मुख्यतः रिकार्डो के सिद्धान्तों से उदित हुये हैं।” अर्थात् मार्क्स पर रिकार्डो का सबसे गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा एडम स्मिथ के आर्थिक एवं दार्शनिक चिंतन की भी मार्क्सवाद पर गहरी छाप दिखायी पड़ती है।
मार्क्सवाद के निम्नांकित सिद्धान्तों पर परम्परावाद का प्रभाव विशेषत: उल्लेखनीय है -
(i) मूल्य सिद्धान्त मार्क्स ने अतिरेक मूल्य के सिद्धान्त का प्रतिपादन कर आर्थिक प्रणाली को मूल्य के श्रम लागत सिद्धान्त एवं अतिरेक मूल्य के सिद्धान्त पर आधारित किया। इसके अनुसार एक श्रमिक को मजदूरी के रूप में जो कुछ मिलता है वह उससे कहीं अधिक उत्पन्न करता है अर्थात् श्रमिक को उसके द्वारा पूर्ण किये गये कार्य के अनुपात में मजदूरी नहीं मिलती और यह अन्तर जो अतिरेक मूल्य है पूँजीपति हड़प लेते हैं।
पूँजीपति सदैव इसमें वृद्धि के लिए प्रयासरत रहते हैं। मार्क्स के इस सिद्धान्त पर एडम स्मिथ एवं डेविड रिकार्डो के विचारों का गहरा प्रभाव है। सर्वप्रथम एडम स्मिथ ने उसके पश्चात् रिकार्डो ने मूल्य के श्रम लागत सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इनके विचारों को आधार बनाकर मार्क्स ने अपना सिद्धान्त प्रतिपादित किया।
(ii) लगान सिद्धान्त - मार्क्स पूँजीवादी शोषण का कारण खोज रहे थे यह कारण उन्हें रिकार्डों के लगान सिद्धान्त में मिल गया। रिकार्डो ने बताया कि लगान एक अनार्जित आय है, भू-स्वामी परजीवी है, वे सम्पत्ति इकट्ठा करते हैं और अपनी आर्थिक शक्ति बढ़ाते हैं। इस आधार पर मार्क्स ने निजी सम्पत्ति की संस्था को श्रम के शोषण से विकसित संस्था पाया और इसके उन्मूलन में ही उन्हें श्रमिकों का हित नजर आया। इसीलिए उन्होंने इसकी समाप्ति के लिए विश्व भर के मजदूरों को एक होने का आह्वान किया।
(2) मार्क्स की अध्ययन पद्धति पर प्रभाव परम्परावादी अर्थशास्त्रियों मुख्यतः एडम स्मिथ एवं माल्थस की भाँति मार्क्स ने भी अर्थशास्त्र के अध्ययन की आगमन प्रणाली का प्रयोग किया। मार्क्स हर घटना की ऐतिहासिक पुष्टि के पक्षधर थे। इसलिए उन्होंने इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या का समर्थन किया।
(3) मार्क्स की शैली पर प्रभाव - एडम स्मिथ की भाँति कार्ल मार्क्स ने भी अपने सिद्धान्तों को सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक बताया और कहा कि ये सारे विश्व की शोषित मानवता के उद्धार के लिए हैं। आलोचकों को स्मिथ तथा मार्क्स की शैली में भी इतनी समानता देखते हैं कि एकाधिकारी मूल्य, एकाधिकारात्मक प्रतिस्पर्धा में मूल्य आदि जो एडम स्मिथ ने छोड़ दिये, उन्हें मार्क्स ने भी नहीं किया। आलोचकों के अनुसार एडम स्मिथ (Wealth of Nations) एवं मार्क्स (Das Capital) की प्रसिद्ध रचनाओं के शीर्षक में भी इस बात की स्पष्ट झलक दिखायी देती है कि मार्क्स परम्परावादियों की शैली से काफी प्रभावित रहे।
निःसन्देह मार्क्स परम्परावादियों के ऋणी थे किन्तु, इसके बावजूद यह सही है कि जहाँ परम्परावादियों के विचार अधूरे, अस्पष्ट एवं अपरिपक्व थे वहीं मार्क्स ने जो कुछ लिखा वह डंके की चोट पर लिखा और वह इतना पूर्ण एवं परिपक्व था कि उसे परम्परावाद से भिन्न मार्क्सवाद के नाम से सम्मानित किया गया। वस्तुतः मार्क्स ही प्रथम विचारक एवं लेखक थे जिन्होंने न केवल आर्थिक प्रणाली की सम्पूर्णता का वैज्ञानिक विवेचन किया बल्कि आर्थिक प्रणाली एवं व्यावहारिक जीवन की समस्याएँ हल करने का प्रयास किया। इस हेतु उन्होंने अपने सभी सिद्धान्तों की ऐतिहासिक तथ्यों द्वारा पुष्टि की और उन्हें कोरे आदर्शवाद के आवरण से बाहर निकालकर व्यावहारिकता का जामा पहनाया इसलिए परम्परावादियों ने जहाँ परिवेश को स्थायी बताया वहाँ मार्क्स ने कहा कि सभी सामाजिक-आर्थिक दशाएँ. परिवर्तनशील हैं।
इसी आधार पर जहाँ परम्परावाद को कोरा सिद्धान्त कहा जाता है वहाँ मार्क्सवाद को सिद्धान्त के साथ-साथ एक व्यावहारिक शक्ति भी माना गया है जिसके द्वारा मार्क्स ने परम्परावाद को चुनौती दी तथा समकालीन एवं बाद के सम्प्रदायों की चुनौती स्वीकार की।
मार्क्सवाद कार्ल मार्क्स द्वारा लिखी पुस्तक "दास कैपिटल " पर आधारित हैं। समाजवाद का सबसे अच्छा चित्रण कार्ल मार्क्स ने ही किया है इसीलिये इन्हें समाजवाद का जनक कहा जाता है। यदि हम इनके द्वारा लिखित पंक्तियों पर कटाक्ष करें तो यह उचित नहीं होगा लेकिन प्रत्येक विचार, सोच के दो पहलू अवश्य होते हैं एक सकारात्मक एवं दूसरा नकारात्मक। यहाँ पर हम मार्क्सवाद को परम्परावादी तने पर उगी हुई एक शाखा मात्र पर विचार करेंगे -
यदि हम समाजवाद एवं मार्क्सवाद दोनों को देखें तो लगभग एक ही शब्द के दो रूप दिखते हैं। परन्तु यदि हम परम्परावादी दृष्टिकोण का अध्ययन करें तो हमें पता चलता है कि यह एक ऐसी जंजीर है जो कैदी को भागने एवं शारीरिक रूप से संकुचित कर देती हैं। इसी आधार को यदि हम माने तो पहले राजा, सामन्तवाद, पूँजीवाद, निरंकुशता, शोषक एवं शोषित लोगों का ही बोलबाला था। मार्क्सवाद पूरी तरह से पुरानी परम्परा पर खड़ी हुई ऐसी नई इमारत है, कि जैसे किसी काले आदमी के ऊपर सफेद पाउडर लगा देना। यदि हम पुरानी परंपरा को ही आधार बनाकर नई आर्थिक नीति, औद्योगिक नीति, विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन करें तो आज के नव-निर्मित सिद्धान्तों पर हमारा सिद्धान्त एक रेत पर बने घर के समान होगा, जो कभी भी गिर सकता है, प्राचीन काल में मार्क्सवादी विचार धारा बहुत उपयोगी सिद्ध हुई लेकिन उसकी जड़ें पुरानी परंपरा पर ही आधारित हैं अतएव हम कह सकते हैं कि आज न तो सामन्तवादी, राजशाही, गुलामी की जंजीरें हैं और न तो संकुचित वचिारधारा का ही कोई मूल्य है। इसलिये पुरानी परंपरा मात्र आज एक कोरी कल्पना है।
मार्क्सवाद एक ऐसी विचारधारा है जो परंपरावादी दृष्टिकोण को लेकर बनायी गयी विचार धारा है, यदि हम पुरानी विचारधारा को छोड़ दे तो उस पर रची विचार धारा का कोई मूल्य नहीं होगा।
परम्परावादी विचारधारा एवं विस्तृत रूप है जिसका मात्र एक अंग मार्क्सवादी विचारधारा है। आज का व्यापार, वाणिज्य, उद्योग, निर्यात आयात इतना बदल चुका है कि उसमें परम्परावादी विचारधारा का पालन करना देश की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक व्यवस्था के लिए श्रेष्ठ नहीं होगा। अतः हम कह सकते हैं कि यदि बड़ा पेड़ गिर जाय तो उस पर लगी शाखा का भी अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसलिये यह बिल्कुल सही कथन है कि "मार्क्सवाद परम्परावादी तने पर उगी हुई एक शाखा मात्र है। "
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।